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लेखनी प्रतियोगिता -20-Feb-2023 "अंगारा"

       "अंगारा "

बाँहें खोले संसार तुम्हरा स्वागत को हैं खड़ा हुआ
लेकिन....!! 
पैरों के नीचे अंगार पड़ा है
आगे बढूं मैं कैसे यहाँ पर
रास्ता पार करू मैं कैसे....?? 
ज्वाला मैं अंदर जलाऊं 
या फ़िर यही भस्म खड़े ही खड़े हो जाऊं
सवाल बना बड़ा खड़ा है.....!! 

आगे अगर बढ़ना है बाहों में जहां को भरना है
तो पैरों को अंगारों पर रखना होगा 
कुंदन की तरह तपकर तुझको
अंगारों पर रख पैर निकलना होगा
धधका अपने अंदर ज्वाला तू इतनी
कि राह की ज्वाला पीछे धकेल ना पाएँ
उठा अपने अंदर से अंगारों का तूफान 
कि अंगारे पे अंगारा भारी पड़ जाए....!! 

भस्म हो जाए तपन रस्ते की 
तुम बनके कुंदन बाहर जब आएं
ये अंगारे, ये कांटे  यह राहों में गहरे अंधेरों के साएँ 
तुझे जहां से मिलने से  रोक न पाए 
जला अपनी हिम्मत के चराग़ तू ऐसे
कि उड़ती हुई मिट्टी तेरे गीत गाए
उठाए कदम तू ,तो बस...! वहां धुआ ही धुआ रह जाएं 
भस्म वही अंगार  हो जाये.....!! 

मधु गुप्ता "अपराजिता"



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6 Comments

Sushi saxena

22-Feb-2023 07:35 PM

बेहतरीन

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Abhinav ji

21-Feb-2023 07:43 AM

Very nice 👍

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बेहतरीन बेहतरीन

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